दिवाली पर शायरी, ग़ज़ल, और गीत: रौशनी और उमंग का संगम


दिवाली या दीपावली, जिसे "प्रकाश पर्व" के नाम से भी जाना जाता है, न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है बल्कि एकता, हर्षोल्लास, और आध्यात्मिकता का उत्सव भी है। यह त्यौहार हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है, जिसे विभिन्न पृष्ठभूमियों और भाषाओं के लोग अपने-अपने अंदाज़ में मनाते हैं। इस मौके पर देश-विदेश में जहाँ भी भारतीय बसे हैं, उनके जीवन में रौशनी का एक नया संचार होता है। यह त्यौहार हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को आता है और पूरे पाँच दिनों तक उत्सव की छटा बिखेरता है।


दिवाली का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व

दिवाली के पीछे कई कहानियाँ जुड़ी हुई हैं, जो इस पर्व के महत्व को और भी गहराई से समझाती हैं। सबसे प्रमुख कथा भगवान राम की है, जिसमें वे 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया और रोशन किया। इसके अलावा, एक और प्रमुख कथा भगवान कृष्ण और नरकासुर के बीच हुई। नरकासुर के अत्याचारों से पीड़ित देवताओं और लोगों को भगवान कृष्ण ने मुक्ति दिलाई, जिससे दिवाली के दिन का एक और महत्व जुड़ा।

इन कथाओं से यह पर्व न केवल ऐतिहासिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनता है। इस दिन का महत्व धर्म और आस्था के लिए भी अनमोल है, क्योंकि यह त्योहार हमें न सिर्फ अच्छाई की जीत का संदेश देता है बल्कि समाज में प्रेम और सौहार्द्र बढ़ाने का भी एक तरीका है।

दीपों का पर्व: जीवन में उजाला लाने का सन्देश

दीपावली के पर्व का सबसे खास पहलू है दीयों का प्रज्वलन। दीपक केवल एक वस्तु नहीं है; यह मानव जीवन में उजाला लाने, अंधकार को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। जिस तरह दीप जलने के लिए तेल की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार हमारे जीवन में भी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आत्मबल और परिश्रम की आवश्यकता होती है। दीप जलाना जीवन में ज्ञान और आत्मबल को प्रज्वलित करने का संदेश देता है।

घर के बाहर जलते दीयों की पंक्तियाँ अंधकार को दूर करती हैं और हमारे समाज को एकजुटता का संदेश देती हैं। हर दीप मानो एक व्यक्ति के रूप में है, जो अपने प्रकाश से चारों ओर की दुनिया को रोशन करने का प्रयास कर रहा है।

दिवाली की सजावट और परंपराएं

इस त्योहार के दौरान घरों की सफाई और सजावट एक बहुत महत्वपूर्ण परंपरा मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में सफाई, सजावट और रोशनी होती है, वहाँ देवी लक्ष्मी का वास होता है और वे उस घर में समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। रंगोली, फूलों की माला, कैंडल्स, और दीपों से सजे ये घर किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं लगते।

सजावट की इस प्रक्रिया का महत्व हमारी संस्कृति को संरक्षित रखने में भी है। दीपावली के समय रंगोली बनाना, फूलों की सजावट करना और परिवार के साथ मिलकर घर को सजाना हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और सांस्कृतिक समृद्धि का एहसास कराता है।

त्यौहार का आध्यात्मिक आयाम

दिवाली केवल बाहरी सजावट का नहीं, बल्कि आत्मा के अंदर का भी त्यौहार है। इस दिन का आध्यात्मिक संदेश है कि हम अपनी आत्मा को भी दीपक की तरह प्रज्वलित करें, अपने भीतर के अंधकार को दूर करें और सत्य, धर्म और प्रेम की ओर अग्रसर हों। यह पर्व आत्मा की पवित्रता को बनाए रखने और उसकी उन्नति के लिए प्रतिबद्धता का पर्व है। दीपावली हमें सिखाती है कि जीवन में भले ही कितने भी अंधेरे हों, लेकिन आत्मविश्वास, संयम और अच्छे कर्मों से हम हर कठिनाई को पार कर सकते हैं।

दिवाली का सामाजिक पहलू और भाईचारा

दिवाली का त्योहार केवल घरों में ही नहीं, बल्कि समाज में भी एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाईयाँ बाँटते हैं, बधाइयाँ देते हैं और प्रेम तथा अपनत्व का आदान-प्रदान करते हैं। इस त्योहार के माध्यम से समाज में आपसी सद्भावना और सहयोग की भावना को बल मिलता है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता 

आज के दौर में दिवाली मनाने का तरीका बदल रहा है। अब लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, और लोग ज्यादा से ज्यादा ईको-फ्रेंडली दिवाली मनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहल पर्यावरण की सुरक्षा को बढ़ावा देती है और हमें अपने भविष्य के लिए सचेत करती है। ईको-फ्रेंडली दिवाली केवल पर्यावरण के लिए लाभदायक नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज को स्वस्थ और खुशहाल बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।

दिवाली के मौके पर प्रेरणादायक संदेश

दिवाली का संदेश बहुत गहरा है; यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और अच्छाई को बढ़ावा देने का जरिया है। यह हमें सिखाता है कि हर चुनौती को एक अवसर मानकर उससे पार पाएं और अपने जीवन को प्रकाशमय बनाएँ। यही कारण है कि इस पर्व का जश्न न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है।


दिवाली पर कुछ नायाब शायरी,ग़ज़लें कवितायेँ और शेर 

अटल विहारी वाजपई 

भरी दुपहरी में अँधियारा 

सूरज परछाईं से हारा 

अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ 

आओ फिर से दिया जलाएँ 

हम पड़ाव को समझे मंज़िल 

लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल 

वतर्मान के मोहजाल में आने वाला कल न भुलाएँ 

आओ फिर से दिया जलाएँ 

आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा 

अपनों के विघ्नों ने घेरा 

अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ 

आओ फिर से दिया जलाएँ  


मणि  मोहन 

इस रोशनी में 

थोड़ा-सा हिस्सा उसका भी है 

जिसने चाक पर गीली मिट्टी रखकर 

आकार दिया है इस दीपक को 

इस रोशनी में 

थोड़ा-सा हिस्सा उसका भी है 

जिसने उगाया है कपास 

तुम्हारी बाती के लिए 

थोड़ा-सा हिस्सा उसका भी 

जिसके पसीने से बना है तेल 

इस रोशनी में 

थोड़ा-सा हिस्सा 

उस अँधेरे का भी है 

जो दिए के नीचे 

पसरा है चुपचाप। 


अमन त्रिपाठी 

पता चला है 

दीये लाने की क़वायद में 

श्रीराम कंहार ने अब दीये बनाना बंद कर दिया है 

सुरेंदर चपरासी के घर भी दीवाली आएगी 

और सवेरे से चार बार रिरिया चुका है पैसे को 

पैसे मिलें तो उसके घर कुछ सामान आ जाए 

पाँचवीं बार रिरियाने के लिए फिर काम में लगा है 

अख़बार में ख़बर है सीमा पर जवानों की मौत की 

त्यौहारी माहौल ख़राब होने का 

एक भद्दा-सा अभिनय 

बाहर के सामान उपयोग में नहीं लाएँगे 

दीये जलाएँगे 

और ग़रीबी दूर करेंगे इस तरह 

सुन रहे हैं ताकते हुए 

कंहार, चपरासी… 


नज़ीर बनारसी 


मिरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है 

ये दीवाली है सब को जीने का अंदाज़ देती है 

हृदय के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक 

बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है 

सिमटता है अंधेरा पाँव फैलाती है दीवाली 

हँसाए जाती है रजनी हँसे जाती है दीवाली 

क़तारें देखता हूँ चलते-फिरते माह-पारों की 

घटाएँ आँचलों की और बरखा है सितारों की 

वो काले काले गेसू सुर्ख़ होंट और फूल से आरिज़ 

नगर में हर तरफ़ परियाँ टहलती हैं बहारों की 

निगाहों का मुक़द्दर आ के चमकाती है दीवाली 

पहन कर दीप-माला नाज़ फ़रमाती है दीवाली 

उजाले का ज़माना है उजाले की जवानी है 

ये हँसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है 

वही दुनिया है लेकिन हुस्न देखो आज दुनिया का 

है जब तक रात बाक़ी कह नहीं सकते कि फ़ानी है 

वो जीवन आज की रात आ के बरसाती है दीवाली 

पसीना मौत के माथे पे छलकाती है दीवाली 

सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या 

उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या 

गगन की जगमगाहट पड़ गई है आज मद्धम क्यूँ 

मुंडेरों और छज्जों पर उतर आए हैं तारे क्या 

हज़ारों साल गुज़रे फिर भी जब आती है दीवाली 

महल हो चाहे कुटिया सब पे छा जाती है दीवाली 

इसी दिन द्रौपदी ने कृष्ण को भाई बनाया था 

वचन के देने वाले ने वचन अपना निभाया था 

जनम दिन लक्ष्मी का है भला इस दिन का क्या कहना 

यही वो दिन है जिस ने राम को राजा बनाया था 

कई इतिहास को एक साथ दोहराती है दीवाली 

मोहब्बत पर विजय के फूल बरसाती है दीवाली 

गले में हार फूलों का चरण में दीप-मालाएँ 

मुकुट सर पर है मुख पर ज़िंदगी की रूप-रेखाएँ 

लिए हैं कर में मंगल-घट न क्यूँ घट घट पे छा जाएँ 

अगर परतव पड़े मुर्दा-दिलों पर वो भी जी जाएँ 

अजब अंदाज़ से रह रह के मस़्काती है दीवाली 

मोहब्बत की लहर नस नस में दौड़ाती है दीवाली 

तुम्हारा हूँ तुम अपनी बात मुझ से क्यूँ छुपाते हो 

मुझे मालूम है जिस के लिए चक्कर लगाते हो 

बनारस के हो तुम को चाहिए त्यौहार घर करना 

बुतों को छोड़ कर तुम क्यूँ इलाहाबाद जाते हो 

न जाओ ऐसे में बाहर 'नज़ीर' आती है दीवाली 

ये काशी है यहीं तो रंग दिखलाती है दीवाली 



नज़ीर अकबराबादी


हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का 

हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का 

सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का 

किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दिवाली का 

अजब बहार का है दिन बना दिवाली का 

जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार 

किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार 

खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार 

हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार 

सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का 

मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई 

पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई 

बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई 

खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई 

गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का 


हैदर बयाबानी


दीवाली के दीप जले हैं 

यार से मिलने यार चले हैं 

चारों जानिब धूम-धड़ाका 

छोटे रॉकेट और पटाख़ा 

घर में फुल-झड़ियाँ छूटे 

मन ही मन में लड्डू फूटे 

दीप जले हैं घर आँगन में 

उजयारा हो जाए मन में 

अपनों की तो बात अलग है 

आज तो सारे ग़ैर भले हैं 

दीवाली के दीप जले हैं 

राम की जय-जय-कार हुई है 

रावन की जो हार हुई है 

सच्चे का हर बोल है बाला 

झूटे का मुँह होगा काला 

सच्चाई का डंका बाजे 

सच के सर पर सहरा साजे 

झूट की लंका ख़ाक बना के 

राम अयोध्या लौट चले हैं 

दीवाली के दीप जले हैं 

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 

मिल कर खाएँ यार मिठाई 

भूल के शिकवे और गिले सब 

हँसते गाते आज मिले सब 

कहने को हर धर्म जुदा है 

लेकिन सब का एक ख़ुदा है 

इक माटी के पुतले 'हैदर' 

इस साँचे में ख़ूब ढले हैं 

दीवाली के दीप जले हैं 


आदिल हयात 


जब से आई है दीपावली 

हर तरफ़ छाई है रौशनी 

हर जगह चाहतों के दिए 

शाम होते ही जलने लगे 

फुल-झड़ियों का बाज़ार है 

ये पटाख़ों का तेहवार है 

दीपों का है सुहाना समाँ 

जिन से धरती बनी कहकशाँ 

जितने रॉकेट पटाख़े चले 

आसमाँ पर लगे हैं भले 

हो गईं दूर तारीकियाँ 

अब हैं रौशन ज़मीं आसमाँ 

जब से आई हैं दीपावली 

हर तरफ़ छाई है रौशनी 

एक मौक़ा है पहचान का 

दिल मिलाती है इंसान का 

चाहतों की ये तस्वीर है 

इक नए युग की ता'बीर है 

दिवाली के के कुछ नायब शेर 

अज्ञात 

मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी 

अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं 

नादिर शाहजहाँ पुरी

जल बुझूँगा भड़क के दम भर में 

मैं हूँ गोया दिया दिवाली का 


ज़िआउस सहर रज़ज़ाक़ी 

दीये की लौ ने फिर ये दुआ मांगी,
दिलों के हर कोने में रौशनी मांगी।
मोहब्बत का दिया हर दिल में जले,
राहें फिर से चिराग़ों से सजी  मांगी।

ज़ेहरा निगाह 

देर तक रौशनी रही कल रात
मैं ने ओढ़ी थी चाँदनी कल रात

ज़िआउस सहर रज़ज़ाक़ी 

दीयों की लौ में सिमटी मोहब्बत है हमारी,
चिराग़ों की महफिल में खिलती वफ़ा है हमारी।
तेरे दिल से दिल मिलाकर ये वादा है,
तेरी राहों में रौशनी फैलाने की आरज़ू है हमारी।

निष्कर्ष

दिवाली का पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक अनुभव है जो हमारी संस्कृति, परंपरा, और जीवन के मूल्यों का प्रतीक है। यह हमें बताता है कि जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियाँ आएँ, अच्छाई, प्रेम, और सत्य की ज्योति हर मुश्किल का समाधान बन सकती है। दीपों की यह पंक्ति, जो अंधेरे में भी रोशनी बिखेरती है, हमें प्रेरणा देती है कि हम भी अपने जीवन में सकारात्मकता का दीप जलाएँ और दूसरों के जीवन में भी खुशी और उम्मीद की रोशनी फैलाएँ।

दीवाली के इस अद्भुत अवसर पर हम अपने भीतर की अच्छाइयों को पहचानें, परिवार और समाज में प्रेम और एकता को बढ़ावा दें। यह पर्व न केवल हमारे घरों में बल्कि हमारे हृदयों में भी सच्ची रौशनी लाने का अवसर है। आइए, इस दिवाली पर हम सभी मिलकर एक नई शुरुआत करें, एक उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ और अपने जीवन को ज्ञान, प्रेम, और शांति से आलोकित करें।ये भी पढ़ें 




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