हसरत जयपुरी: बॉलीवुड के सदाबहार गीतकार

 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

हसरत जयपुरी, जिनका असली नाम इक़बाल हुसैन था, भारतीय फिल्मों के प्रतिष्ठित गीतकारों में से एक थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1922 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केवल अंग्रेजी में शुरुआती स्तर तक की, लेकिन उर्दू और फ़ारसी की बारीकियां अपने नाना फिदा हुसैन 'फिदा' से सीखी। उनके नाना एक मशहूर शायर थे, जिनकी छत्रछाया में हसरत ने शायरी और साहित्य का गहन अध्ययन किया। हसरत ने लगभग 20 वर्ष की उम्र में शायरी लिखनी शुरू की और अपने इस जुनून के साथ आगे बढ़ते गए।


प्रेम कहानी और शायरी का आरंभ

हसरत जयपुरी की जिंदगी में प्रेम का खास स्थान रहा है। जब वे अपने युवावस्था में थे, तब उन्हें अपने पड़ोस की एक हिंदू लड़की राधा से प्रेम हो गया। उन्होंने इस प्रेम को कभी ज़ाहिर नहीं किया, लेकिन उनके दिल की भावनाओं ने उन्हें एक कविता लिखने को प्रेरित किया, जिसका नाम था “ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर, के तुम नाराज़ न होना।” यह कविता उस समय की उनकी भावनाओं को गहराई से दर्शाती थी। इस कविता को बाद में महान फिल्मकार राज कपूर ने अपनी फिल्म संगम (1964) में शामिल किया, और यह गीत इतना लोकप्रिय हुआ कि आज भी इसे हिंदी फिल्म संगीत के सबसे प्रतिष्ठित गीतों में गिना जाता है।

बॉलीवुड में सफर की शुरुआत

हसरत जयपुरी का करियर मुंबई में शुरू हुआ, जहाँ उन्होंने 1940 में बस कंडक्टर की नौकरी की, और उन्हें मासिक वेतन के रूप में 11 रुपये मिलते थे। लेकिन उनकी शायरी और प्रतिभा को पहचानने वाला कोई खास शख्स उन्हें जल्द ही मिल गया। एक मुशायरे के दौरान, प्रसिद्ध अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने उनकी शायरी सुनी और अपने बेटे राज कपूर से उनकी सिफारिश की।

राज कपूर उस समय अपनी पहली म्यूजिकल फिल्म बरसात (1949) की योजना बना रहे थे, जिसमें उन्होंने हसरत से गीत लिखवाने का प्रस्ताव रखा। हसरत जयपुरी का फिल्मी दुनिया में पहला गीत "जिया बेकरार है" था, जो फिल्म बरसात में था और जबरदस्त हिट हुआ। इसके बाद उनके द्वारा लिखा गया युगल गीत "छोड़ गए बालम" भी बेहद सफल हुआ। यह हसरत के सुनहरे करियर की शुरुआत थी, जिसने हिंदी फिल्म जगत में उनकी एक अलग पहचान बना दी।

शंकर-जयकिशन और राज कपूर के साथ जुड़ाव

हसरत जयपुरी ने अपने करियर में सबसे ज्यादा काम संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन और राज कपूर के साथ किया। 1949 से 1971 तक हसरत जयपुरी ने राज कपूर की सभी फिल्मों के लिए शैलेन्द्र के साथ मिलकर गीत लिखे। उनकी जोड़ी ने कई यादगार और दिल छू लेने वाले गीतों को जन्म दिया, जिनमें से कुछ सदाबहार गीत आज भी लोगों की जुबां पर हैं, जैसे "बहारों फूल बरसाओ", "अजीब दास्तान है ये", "तेरी प्यारी प्यारी सूरत को", और "बदन पे सितारे लपेटे हुए"।

हालांकि, 1971 के बाद, जब राज कपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर और कल आज और कल को उम्मीद से कम सफलता मिली, राज कपूर ने नए गीतकारों और संगीतकारों की ओर रुख किया। लेकिन राज कपूर और हसरत जयपुरी के बीच की पेशेवर और व्यक्तिगत मित्रता हमेशा बरकरार रही। 1985 में फिल्म राम तेरी गंगा मैली में उन्होंने फिर से राज कपूर के लिए गीत लिखे और उनका यह जुड़ाव फिर से सफल रहा।

फिल्म जगत में योगदान और प्रतिष्ठा

हसरत जयपुरी ने बॉलीवुड को अनगिनत हिट गाने दिए, जिनमें से कुछ आज भी श्रोताओं के दिलों पर राज करते हैं। उनके गीतों की खासियत यह थी कि वे सरल और दिल को छू लेने वाले होते थे। उन्होंने लगभग हर प्रकार के गीत लिखे—प्रेम गीत, दुःख भरे नगमें, और यहां तक कि पार्टी गाने भी। "जिया बेकरार है," "छोड़ गए बालम," "बदन पे सितारे," और "ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना" जैसे गाने आज भी सुनने वालों को भावुक कर देते हैं।

हसरत जयपुरी को कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जिनमें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार भी शामिल हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से फिल्मी दुनिया में जो योगदान दिया, उसे सदियों तक याद किया जाएगा।

निजी जीवन और विरासत

अपने गीतों की सफलता के साथ-साथ हसरत जयपुरी ने अपने निजी जीवन को भी संजीदगी से जिया। उनकी पत्नी की सलाह पर उन्होंने अपनी कमाई को अचल संपत्ति में निवेश किया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत रही और वे अपनी लेखनी पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सके।

उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी हैं, जो मुंबई में रहते हैं। उनके निधन के बाद भी उनकी लेखनी और गीतों का जादू बरकरार है।

हसरत जयपुरी की शायरी,ग़ज़लें नज़्मे,गीत 

1-ग़ज़ल 

हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं
वो ग़ैर की बाँहों में आराम से सोते हैं

हम अश्क जुदाई के गिरने ही नहीं देते
बेचैन सी पलकों में मोती से पिरोते हैं

होता चला आया है बे दर्द ज़माने में
सच्चाई की राहों में काँटे सभी बोते हैं

अंदाज़ ए सितम उन का देखे तो कोई 'हसरत'
मिलने को तो मिलते हैं नश्तर से चुभोते हैं

2-ग़ज़ल/गीत/हिंदी फिल्म-शेरा-1963 


तक़दीर का फ़साना जा कर किसे सुनाएँ
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएँ

साँसों में आज मेरे तूफ़ान उठ रहे हैं
शहनाइयों से कह दो कहीं और जा के गाएँ

मतवाले चाँद सूरज तेरा उठाएँ डोला
तुझ को ख़ुशी की परियाँ घर तेरे ले के जाएँ

तुम तो रहो सलामत सेहरा तुम्हें मुबारक
मेरा हर एक आँसू देने लगा दुआएँ

3-ग़ज़ल/गीत/हिंदी फिल्म-आरज़ू-1965 


छलके तिरी आँखों से शराब और ज़ियादा
खिलते रहें होंठों के गुलाब और ज़ियादा

क्या बात है जाने तिरी महफ़िल में सितमगर
धड़के है दिल ए ख़ाना ख़राब और ज़ियादा

इस दिल में अभी और भी ज़ख़्मों की जगह है
अबरू की कटारी को दो आब और ज़ियादा

तू इश्क़ के तूफ़ान को बाँहों में जकड़ ले
अल्लाह करे ज़ोर ए शबाब और ज़ियादा

4-ग़ज़ल/गीत/हिंदी फिल्म-मेरे हुज़ूर 1968  


क्या क्या न सहे हम ने सितम आप की ख़ातिर
ये जान भी जाएगी सनम आप की ख़ातिर

तड़पे हैं सदा अपनी क़सम आप की ख़ातिर
निकलेगा किसी रोज़ ये दम आप की ख़ातिर

इक आप जो मिल जाएँ तो मिल जाए ख़ुदाई
मंज़ूर हैं दुनियाँ के अलम आप की ख़ातिर

हम आप की तस्वीर निगाहों में छुपा कर
जागा किए अक्सर शब ए ग़म आप की ख़ातिर

लोगों ने हमें आप का दीवाना बताया
ऐसे भी हुए हम पे करम आप की ख़ातिर

हम राह ए वफ़ा से कभी पीछे न हटेंगे
सुन लीजिए मिट जाएँगे हम आप की ख़ातिर

नज़्म 

शरारती लड़के 

अपने टीचर को नचाएँ तो मज़ा आ जाए 

उन की ऐनक को चुराएँ तो मज़ा आ जाए 

उन के डंडे को छुपाएँ तो मज़ा आ जाए 

आज जी भर के सताएँ तो मज़ा आ जाए 

कौन सा दिन है जो टीचर ने नहीं मारा है 

हम ने हर काम किया फिर भी तो फटकारा है 

उन का ग़ुस्सा है कि दहका हुआ अँगारा है 

आग में आग लगाएँ तो मज़ा आ जाए 

मुँह पे चाँटे भी दिए हम ने बनाया मुर्ग़ा 

हम ने स्कूल से हर रोज़ ये तमग़ा पाया 

कितने जल्लाद हैं टीचर अरे अल्लाह अल्लाह 

हम भी मुँह उन का चढ़ाएँ तो मज़ा आ जाए 

वो पढ़ाते हैं तो औसान ख़ता होते हैं 

हक़ पढ़ाई के ये दुश्वार अदा होते हैं 

हम अगर रोते हैं फिर और ख़फ़ा होते हैं 

आज उन को भी रुलाएँ तो मज़ा आ जाए 

उन की कुर्सी पे चलो आओ पटाख़े बाँधें 

जब वो आएँ तो पटाख़ों का तड़पना देखें 

हम भी शागिर्द-ए-सितम-गार हैं इतना मानें 

पीछे पीछे ही भगाएँ तो मज़ा आ जाए 

उन की जो चीज़ है चुपके से छुपा दें आओ 

पान बीड़ी की जो डिबिया है उड़ा दें आओ 

हम शरारत के नए जाल बिछा दें आओ 

वो किसी जाल में आएँ तो मज़ा आ जाए 

वो अगर सामने आ जाएँ तो मिल कर चीख़ें 

वो कहें चुप रहो हम और भी हँस कर चीख़ें 

और वो आँखे दिखाएँ तो अकड़ कर चीख़ें 

उन को दीवाना बनाएँ तो मज़ा आ जाए 

निष्कर्ष

हसरत जयपुरी का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें प्रेम, संघर्ष, और सफलता का संगम देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी शायरी और गीतों से भारतीय फिल्म संगीत को न सिर्फ नया आयाम दिया, बल्कि उन्हें अमर बना दिया। हसरत जयपुरी का नाम भारतीय सिनेमा के सुनहरे गीतकारों में हमेशा शुमार रहेगा, और उनके गीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।ये भी पढ़ें 

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