अदबी दुनिया के तमाम शोरा, रचनाकार, अफ़साना निगार, कहानीकार, नज़्म-गो, मुक़द्दस क़लम के मालिक और तख़लीक़ी जहान के उन तमाम खुशनसीब मुसाफ़िरों से—
आज हम एक ऐसी अरज़ लेकर रूबरू हैं, जो सिर्फ़ आपकी शायरी ही नहीं, बल्कि आपकी पहचान, आपका तख़लीक़ी सफ़र और आपके पूरे अदबी वजूद की बुनियाद से जुड़ी हुई है। यह बात उतनी ही नाज़ुक है जितनी ज़रूरी, और उतनी ही सच्ची जितनी आपकी कलम की ख़ुशबू।
दोस्तों, अगर आपने आज तक अपनी सवानेह-ए-उमरी (Biography / जीवन-यात्रा) नहीं लिखी, अगर अब तक आपने अपनी ज़िंदगी के उन सुनहरे क़िस्सों को क़लमबंद नहीं किया, जिनमें आपके फ़क़्र, आपके ज़ख़्म, आपकी उड़ानें और आपकी रचनात्मक रातें छुपी हैं—
तो मेरी दिली गुज़ारिश है कि…
आज ही से इसे शुरू कर दीजिए।
क्योंकि ज़िंदगी के ये लम्हे दोबारा नहीं आते,
यादों की ये महक हमेशा नहीं रहती,
और वक्त का यह दरिया किसी के लिए रुकता नहीं।
आपकी शायरी का हर मिसरा, आपकी ज़िंदगी की हर सीख, आपके उस्तादों की हर रहनुमाई और आपकी तख़लीक़ का हर रंग—
दुनिया तक तभी पहुँचेगा,
जब आप ख़ुद अपने ग़ुज़िश्ता और हाल का बयान दुनिया के लिए छोड़ जाएँगे।
कलम आपका है, कहानी आपकी है,
बस अब उसकी हिफ़ाज़त भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है
क्योंकि माज़ी (बीते) दौर की खामोशी आज एक सबक बन चुकी है…
हमारी अदबी तारीख़ में ऐसे ना जाने कितने अज़ीम उसताद शायर ग़ुज़र चुके हैं—
जिनके क़लाम में इंक़िलाब की वलवला था, जिनकी रचनाओं में सदियों की खुशबू थी,
मगर:
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उनके मजमुआ-ए-क़लाम (Poetry Collections) कभी मुकम्मल न हुए,
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उनकी कुल्लियात (Complete Works) कभी तर्तीब न दी गई,
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उनके शागिर्दों ने भी उनकी ज़िंदगी को कलमबंद न किया,
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और जो दस्तावेज़ मौजूद थे, वो भी दीमक की ख़ुराक बन गए।
आज हालत ये है कि कई देसी-विदेशी Researchers जब उनके नाम Google पर Search करते हैं—
तो कुछ भी दिखाई नहीं देता।
न उनकी शायरी, न उनकी तारीख़, न उनकी पहचान।
जो कभी मजलिसों का उजाला थे…
वो Digital दुनिया में बेमानी कैफ़ियात की तरह खो गए।
क्या हम भी अपनी आने वाली नस्लों को ऐसी ही खामोशी सौंपना चाहते हैं?
जदीद दौर की बड़ी ग़लती: Social Media को ही पूरी दुनिया समझ लेना
आज का तख़लीक़कार Facebook, Instagram या YouTube पर अपनी पोस्ट डालकर समझ लेता है कि उसने दुनिया को फतह कर लिया है।
मगर असलियत ये है कि:
✔ सोशल मीडिया की Natural Reach सिर्फ़ 15–20 KM होती है।
यानी आपकी पोस्ट:
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आपके शहर के आस-पास,
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आपकी ही लोकेशन के आसपास,
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आपके ही दोस्तों के दायरे में घूमती रहती है।
दुनिया के बाकी हिस्से तक उसका पहुँचना
तक़रीबन नामुमकिन है।
अगर आपका कोई दोस्त USA, UK या UAE से है—
तो वो आपकी पोस्ट पढ़ सकता है,
मगर जो लोग आपके दोस्त (Friends ) नहीं,
या जिनकी timeline पर आप नहीं आते—
उन तक आपकी तख़लीक़ पहुँचने की कोशिश रास्ते में ही दम तोड़ देती है।
यही वजह है कि
हज़ारों शायर उम्र भर सोशल मीडिया पर लिखते रहते हैं—
मगर दुनिया उन्हें जान ही नहीं पाती।
अदबी पहचान सोशल मीडिया नहीं— Digital Documentation से बनती है
असल पहचान तब बनती है जब:
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आपकी Biography Google पर Index होती है
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आपकी Ghazals/Nazms Searchable हो जाती हैं
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आपकी Shayari दुनिया भर के Researchers को उपलब्ध होती है
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आपकी Profile हर जगह एक “Digital Reference” के रूप में मौजूद रहती है
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आपकी तख़लीक़ Archive होती है
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और आने वाली नस्लों तक सुरक्षित पहुँचती है
सोशल मीडिया वक़्ती तालियों का हुनर देता है,
मगर Digital Documentation आपको हमेशा के लिए ज़िंदा रख देती है।
क्या करना चाहिए? दो काम बहुत ज़रूरी हैं
1. अपना Facebook Page बनाइए
Profile की पहुँच बहुत छोटी होती है।
Page आपकी भीड़ तक पहुंच नहीं—बल्कि दुनिया तक पहुंच खोलता है।
मगर…
फिर भी ये Global Identity का मुकम्मल हल नहीं।
2. अपनी खुद की Website / Digital Profile बनाइए
यही असल हल है।
यही आपकी पहचान को दुनिया की Searchable History में दर्ज करता है।
Website की मदद से:
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आपका नाम Google पर Index होता है
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आपकी Biography लोग Worldwide पढ़ते हैं
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आपकी Shayari लाखों पाठकों तक पहुँचती है
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और आपकी तख़लीक़ Data Loss से महफूज़ रहती है
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SEO आपकी Reach को 100 गुना बढ़ाता है
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आपकी पोस्ट Google पर Top Pages तक जा सकती है
Website असल मायनों में आपकी
Permanent Digital Identity बनाती है।
और अब आइए असली Solution की तरफ़
हम—
WWW.ANTHOUGHT.COM
आपका ये पूरा काम Free of Cost — Free of Labor करके देते हैं:
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आपकी Biography professionally लिखना
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आपकी Shayari को archive करना
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आपकी Profile Google पर Index कराना
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आपकी पोस्ट को SEO के साथ publish करना
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आपकी तख़लीक़ को दुनिया तक पहुँचाना
हमारी कई पोस्ट पहले से ही
Google के 1st Page पर Rank कर रही हैं।
Ranking में वक़्त लगता है,
मगर Indexing को हम 1–7 दिनों के अंदर 100% Guarantee के साथ करवा देते हैं।
आपकी एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी शुरू होती है
जब आपकी Biography / Profile बन जाए,
तो उस Link को:
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Facebook
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WhatsApp Groups
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Insta Bio
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YouTube Description
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Literary Forums
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और अपने Students / Fans
हर जगह शेयर करते रहिए।और फ्रेंड्स और अज़ीज़ों से करवाते रहिये
इससे:
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Indexing तेज़ होती है
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Ranking बेहतर होती है
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Google आपकी पहचान को और मज़बूत मानता है
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और आपका अदबी सफ़र आम लोगों से निकलकर
Global Literary Legacy का हिस्सा बन जाता है।
अपनी Digital Biography को और शानदार कैसे बनाएँ?
जब भी कुछ वक्त मिले—
ये चीज़ें अपनी Profile में शामिल करते रहिए:
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अपनी Professional तस्वीरें
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Achievements
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Rare Ghazals / Iconic Sher
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Awards
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Interviews
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Press Coverage
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आपकी किताबें
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आपके तख़लीक़ी मकमलात
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आपकी आवाज़ में Recitations
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आपके Students की राय
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आपके उस्तादों का ज़िक्र
यही आपकी Digital Authority बनाते हैं।
यही आपकी पहचान को दुनिया भर में मुस्तहकम करते हैं।
मुमकिन है कि कल Wikipedia पर भी आपका नाम शामिल हो जाए…
लेकिन याद रखिए—
Wikipedia आपको सीधे Author Authority नहीं देता।
वो 90% जानकारी Google Indexing + Global Digital Footprints से उठाता है।
अगर आपकी Digital मौजूदगी मजबूत है—
तो Wikipedia खुद आपका सरनामा ढूंढ लेता है।
एक अदबी इल्तिजा
मेरे अज़ीज़ शोरा इ इकराम (रचनाकारो ) —
कलम सिर्फ़ इज़हार का वसीला नहीं,
बल्कि जिम्मेदारी भी है।
हम आपकी मदद कर रहे हैं,
आप सिर्फ़ अपनी थोड़ी-सी दिलचस्पी और तवज्जो बढ़ा दीजिए।
क्योंकि इस Digital दौर में—
जिस शायर का नाम Google पर नहीं,
समझ लीजिए वो दुनिया की अदबी ज़मीन पर मौजूद ही नहीं।
अपनी तख़लीक़ को महफूज़ कीजिए।
अपनी पहचान को Document कीजिए।
अपनी Biography को लिखिए /लिखवाइए।
और दुनिया को बताइए कि
आप कौन हैं – और आपकी कलम की उड़ान कितनी ऊँची है।
इंशाअल्लाह—
इससे आपकी:
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Fan Following
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Visibility
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Credibility
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और Global Respect
सब कुछ बढ़ेगा…
और आप Digital Literature में एक हमेशा ज़िंदा रहने वाला नाम बन जाएंगे।
आप का मुख्लिस
Z.S.AZZAQI
7011631225 (W)
ضیالسَّحَر رَزّاقی
