डॉ वसीम बरैलवी की जीवनी और शायरी

डॉ. वसीम बरैलवी, भारतीय साहित्य में एक चमकता सितारा हैं। उनकी कविताओं ने लोगों के दिलों को गहराई से छू लिया है, और उनकी विशेष शैली ने उन्हें साहित्यिक जगत में एक अलग पहचान दी है। आइए उनके जीवन और उनकी उपलब्धियों पर एक नई दृष्टि डालें।


 

जीवन परिचय 

नाम - ज़ाहिद हसन वसीम 
उप नाम ( तखल्लुस ) - बरेलवी 
जन्म - 18 फ़रवरी सन 1940 
जन्म स्थान - बरैली उत्तर प्रदेश 
पिता  - जनाब शाहिद हसन
शिक्षा - एमए उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया
व्यवसाय ( जरिया ए माश ) - बरेली कॉलेज में उर्दू विभाग के एक सहायक प्रोफेसर 
और उर्दू के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट बन गए

पुरुस्कार व सम्मान 

1-भारत सरकार द्वारा उन्हें उर्दू भाषा के प्रचार के लिए राष्ट्रीय परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
2-अखिलेश यादव ,उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, द्वारा उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के लिए नामंकित किया गया था
3-फिराक इंटरनेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया
4-नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज (NCPUL) के वो वाइस चेयरमैन हैं

https://www.anthought.com/

वसीम बरेलवी साहब के कलाम 

1 -ग़ज़ल 

अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आइना हो जाऊँगा 

उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा 

तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं 

मैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा 

मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र 

रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा 

सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा 

इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा 

2 -ग़ज़ल

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता 

आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता 

तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या 

हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता 

प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात 

किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता 

घर ढूँड रहे हैं मिरा रातों के पुजारी 

मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता 

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए 

ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता 

3 -ग़ज़ल

कहाँ क़तरे की ग़म-ख़्वारी करे है 

समुंदर है अदाकारी करे है 

कोई माने न माने उस की मर्ज़ी 

मगर वो हुक्म तो जारी करे है 

नहीं लम्हा भी जिस की दस्तरस में 

वही सदियों की तय्यारी करे है 

बड़े आदर्श हैं बातों में लेकिन 

वो सारे काम बाज़ारी करे है 

हमारी बात भी आए तो जानें 

वो बातें तो बहुत सारी करे है 

यही अख़बार की सुर्ख़ी बनेगा 

ज़रा सा काम चिंगारी करे है 

बुलावा आएगा चल देंगे हम भी 

सफ़र की कौन तय्यारी करे है 

कुछ बहुत मशहूर अशआर 

वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से

मैं ए'तिबार करता तो और क्या करता

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वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए

ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता

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ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं

तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी

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मैं बोलता गया हूँ वो सुनता रहा ख़ामोश

ऐसे भी मेरी हार हुई है कभी कभी

Conclusion :-

डॉ. वसीम बरेलवी वास्तव में एक महान उर्दू कवि हैं। उनके योगदान उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण हैं और उन्हें प्रसिद्ध उर्दू कवियों के बीच प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ है। उनकी प्रभावशाली और ह्रदयविदारक कविता के लिए पहचाने जाते हैं, जो मानवीय भावनाओं और अनुभवों की गहरी समझ को प्रतिष्ठित करती है।
डॉ. वसीम बरेलवी की कविताएं जीवन के जटिलताओं, प्यार और आध्यात्मिकता की
 मानवीय अनुभूतियों को पकड़ती हैं और पाठकों के दिलों को छूने की क्षमता रखती हैं।
 उनकी भाषा का महारत और अद्वितीय अलंकारों और चित्रण का कुशल प्रयोग, पाठकों 
के लिए एक जीवंत और प्रभावशाली अनुभव बनाते हैं। उनकी कविताओं के माध्यम से,
 वह जीवन की पेचीदगी को पकड़ने में सफल रहते हैं, प्यार और भावनाओं के गहराईयों 
को छूने में समर्थ होते हैं और उर्दू साहित्य के लिए एक अविस्मरणीय प्रभाव 
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