अरुण कमल, जिन्हें अरुण कुमार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदी साहित्य के प्रगामी
एवं अभिनव कवियों में से एक हैं। उनकी जन्मतिथि 4 अप्रैल, 1948 को उत्तर प्रदेश के
छोटे से गांव में हुई। बचपन से ही उनका रूचि कविता और साहित्य में रहा और वे धीरे
-धीरे कविता के पठन-पाठन में आने लगे।
अरुण कमल की कविताएँ अद्वितीय शैली और गहरी भावनाओं से सजी होती हैं।
उनके शब्दों में रंग-बिरंगे विचार, समाजिक मुद्दों की प्रतिध्वनि और मानवीय
अनुभवों की प्रवाहित गाथा छिपी होती है। उनकी कविताओं के वाक्य अद्भुत
रचनात्मकता से भरे होते हैं और रसों की अनंत प्रवाहिता को प्रतिष्ठित करते हैं।
समृद्ध रचनात्मक यात्रा के अलावा, अरुण कमल ने शिक्षा क्षेत्र में भी अपना योगदान
दिया है। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य
किया। वे छात्रों को साहित्यिक ज्ञान और साहित्यिक दृष्टिकोण के प्रति प्रेरित करते
रहे हैं। उनकी गहरी विद्वत्ता और समय-समय पर होने वाले कविता शिविरों में उनके
द्वारा किए गए प्रवक्तान और संशोधन उन्हें एक आदर्श शिक्षक बनाते हैं।
अरुण कमल की कविताएँ उनकी विचारधारा, साहित्यिक दक्षता और साहसिकता के
कारण प्रसिद्ध हुई हैं। उनकी कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं, समाजिक मुद्दों
और मानवीय भावनाओं के मनोहारी वर्णन होते हैं। उनकी कविताओं का धारात्मक
संदेश,भाषा की सुंदरता और भावुकता उन्हें अन्य कवियों से अलग बनाती हैं।
जीवन परिचय
नाम-अरुण कुमार
उप नाम-अरुण- "कमल"
पिता का नाम-
जन्म-15 फ़रवरी सन 1954
जन्म स्थान- नसीर गंज ,रोहतास, बिहार
व्यवसाय- पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक है,लेखक और कवि हैं
अरूण कमल जी की प्रकाशित पुस्तकें
1-अपनी केवल धार, सन1980
2- सबूत, सन1989
3- नए इलाक़े में, सन 1996
4- पुतली में संसार, सन 2004
5-मैं वो शंख महाशंख,सन 2013
6- योगफल, सन 2019
7- कविता और समय, सन 2002 ( आलोचना )
8- गोलमेज, सन 2009 ( आलोचना )
9 -कथोपकथन, सन 2009 (साक्षात्कार)
FAQ'S : कवि अरुण कमल जी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. अरुण कमल का जन्म कब और कहां हुआ था?
अरुण कमल का जन्म 15 फरवरी 1954 को नसीरगंज गांव,बिहार के रोहतास जिले के में हुआ था।
2. अरुण कमल की प्रमुख रचनाएँ कौन सी हैं?
अरुण कमल के प्रमुख काव्य संग्रह ‘नए इलाके में’ और ‘अपनी केवल धार’ को उनकी सबसे अधिक प्रसिद्ध रचनाओं में गिना जाता है।
3. अरुण कमल को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला?
अरुण कमल को उनके काव्य संग्रह ‘नये इलाके में’ के लिए वर्ष 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
4. ‘पुतली में संसार’ किसकी रचना है?
‘पुतली में संसार’ अरुण कमल की एक चर्चित और मशहूर रचना है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको मशहूर कवि लेखक और संपादक अरुण कमल की जीवनी (कवि अरुण कमल की रचनाओं की विशेषता एवं जीवनी) पर हमारा ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान शायरों का जीवन परिचय को पढ़ने के लिए ANTHOUGHT के साथ बने रहें।
पुरुस्कार व सम्मान
1-भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार सन 1980
2-सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार सन 1989
3-श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार सन 1990
4-रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार सन 1996
5-शमशेर सम्मान सन 1997
6-साहित्य अकादमी पुरस्कार सन 1998 'नये इलाके में' के लिए
अरुण कमल जी की कविताएँ
1-कविता
इस नए बसते इलाक़े में
जहां रोज़ बन रहे हैं नए-नए मकान
मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूं
धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
खोजता हूं ताकता पीपल का पेड़
खोजता हूं ढहा हुआ घर
और ज़मीन का ख़ाली टुकड़ा जहां से बाएं
मुड़ना था मुझे
फिर दो मकान बाद बिना रंग वाले लोहे के फाटक का
घर था इकमंज़िला
और मैं हर बार एक घर पीछे
चल देता हूं
या दो घर आगे ठकमकाता
यहां रोज़ कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहां स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे वसंत का गया, पतझड़ को लौटा हूं
जैसे बैसाख का गया, भादों को लौटा हूं
अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
और पूछो-क्या यही है वो घर?
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना, ऊपर से देखकर
2-कविता
कई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूड़े-करकट के ढेरों के बाद बदबू से फटते जाते इस टोले के अंदर खुशबू रचते हैं हाथ खुशबू रचते हैं हाथ। उभरी नसोंवाले हाथ घिसे नाखूनोंवाले हाथ पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ गंदे कटे-पिटे हाथ खुशबू रचते हैं हाथ खुशबू रचते हैं हाथ। यहीं इस गली में बनती हैं मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ बनाते हैं केवड़ा, गुलाब, ख़स और रातरानी अगरबत्तियाँ दुनिया की सारी गंदगी के बीच दुनिया की सारी खुशबू रचते रहते हैं हाथ खुशबू रचते हैं हाथ खुशबू रचते हैं हाथ।3-कविता
4-कविता
देखो हत्यारों को मिलता राजपाट सम्मान जिनके मुँह में कौर मांस का उनको मगही पान प्राइवेट बंदूक़ों में अब है सरकारी गोली गली-गली फगुआ गाती है हत्यारों की टोली देखो घेरा बाँध खड़े हैं ज़मींदार के गुंडे उनके कंधे हाथ धरे नेता बनिया मुँछमुंडे गाँव-गाँव दौड़ाते घोड़े उड़ा रहे हैं धूर नक्सल कह-कह काटे जाते संग्रामी मज़दूर दिन दोपहर चलती है गोली रात कहीं पर धावा धधक रहा है प्रांत समूचा ज्यों कुम्हार का आवा हत्या-हत्या केवल हत्या-हत्या का ही राज अघा गए जो मांस चबाते फेंके रहे हैं गाज प्रजातंत्र का महामहोत्सव छप्पन विध पकवान जिनके मुँह में कौर मांस का उनको मगही पान।5-कविता
न वहाँ छतरी थी न घेरा
बस एक क़ब्र थी मिट्टी से उठती
मानों कोई सो गया हो लेटे-लेटे
जिस पर उतनी ही धूप पड़ती जितनी बाकी धरती पर
उतनी ही ओस और बारिश
और दो पेड़ थे आसपास बेरी और नीम के|
मेमने बच्चे और गौरैया दिन भर कूदते वहाँ
और शाम होते पूरा मुहल्ला जमा हो जाता
तिल के लड्डू गंडे-ताबीज वाले
और डुगडुगी बजाता जमूरा लिए रीछ का बच्चा
और रात को थका मांदा कोई मँगता सो रहता सट कर|
और वो सब कुछ सुनता
एक-एक तलवे की धड़कन एक कीड़े की हरकत
हर रेशे का भीतर ख़ाक में सरकना
और ऊपर उड़ते पतंगों की सिहरन
हर बधावे हर मातम में शामिल|
वह महज़ एक क़ब्र थी एक शायर की क़ब्र
जहाँ हर बसंत में लगते हैं मेले
जहाँ दो पेड़ हैं पास-पास बेरी के नीम के|
CONCLUSION:-
समाप्ति रूप में कह सकते हैं कि अरुण कमल एक महान हिंदी कवि हैं जिन्होंने अपनी
अद्वितीय कविताओं के माध्यम से हमेशा हमें चिंतन करने पर विवश कर दिया है। उनकी
कविताएँ उदात्तता, समाजवाद, मानवता, प्रेम, और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को
सुंदरता के साथ छूने वाली हैं। उन्होंने न केवल साहित्यिक जगत् में अपनी छाप छोड़ी है,
बल्कि उन्हें अन्य अद्वितीय पुरस्कारों और सम्मानों से भी नवाजा गया है।
अरुण कमल अपनी विद्वत्ता और कला के क्षेत्र में अद्वितीय प्रभाव छोड़ गए हैं। उनका कविताओं
में अंतरंगतापूर्ण संदेश, अद्वितीय रचनात्मकता और भाषा के प्रयोग की महानता ने साहित्य जगत्
को प्रभावित किया है। उनकी साहित्यिक योगदान न केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में बल्कि
साहित्यिक विरासत के भी पुनर्जीवित होने का प्रमाण है।येभीपढ़ें
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