शायरा (Poetess) अंजलि बंगा
फूलों को बरसाओ तुम भी
तारे वारे लाओ तुम भी
चलते चलते फ़िल्मों जैसे
मुझ में आ टकराओ तुम भी
मैं भी नींदें लम्बी लूँगी
गर ख़्वाबों में आओ तुम भी
मुझ को खोना कैसा होगा
थोड़ा तो घबराओ तुम भी
कब से इक तरफ़ा रक्खा है
अब मेरे कहलाओ तुम भी
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