डॉ. अशोक चक्रधर जी का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला खुर्जा के एक मोहल्ले अहीर
पाड़ा में 8 फरवरी, सन -1951 को हुआ अशोक चक्रधर एक भारतीय लेखक, कवि
और जामिया मिलिया इस्लामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व प्रमुख
रहे,29 वर्षों तक सेवा करने के बाद, उन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार और विकास की
दिशा में काम करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
जीवन परिचय
नाम- अशोक
उप नाम -चक्रधर
पिता का नाम -डॉ. राधेश्याम 'प्रगल्भ'
माता का नाम -श्रीमती कुसुम
ससुर जी का नाम -काका हाथरसी
शिक्षा - एम.ए., एम.लिट., पी-एच.डी. 'कैरिअर अवार्ड' उत्तर पी-एच.डी.
शोध-कार्य {विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
डॉ. अशोक चक्रधर जी को मिले सम्मान व अवार्ड्सRead More
1- भारत सरकार द्वारा (पटकथा लेखन ) के लिए पद्म श्री
2-काका हाथरसी हास्य पुरस्कार
3-आकाशवाणी पुरस्कार 'प्रौढ़ बच्चे' सर्वश्रेष्ठ आकाशवाणी
रूपक लेखन-निर्देशन पुरस्कार, दिल्ली
4-समाज रत्न' उपाधि साथी संगठन, दिल्ली
5-टी.ओ.वाई.पी. अवार्ड (टैन आउटस्टैंडिंग यंग परसन ऑफ इंडिया),
जेसीज़ क्लब, टी.ओ.वाई.पी. अवार्ड', (टैन आउटस्टैंडिंग यंग परसन ऑफ इंडिया), जेसीज़ क्लब, मुम्बई
6-पं.जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय एकता अवार्ड', गीतांजलि, लखनऊ
7-धारावाहिक 'ढाई आखर' लेखन-निर्देशन के लिए भूतपूर्व राष्ट्रपति
ज्ञानी ज़ैल सिंह द्वारा सम्मानित
8-बाल साहित्य पुरस्कार', हिन्दी अकादमी
9-भारत सरकार, 'कैरियर अवार्ड', विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,
नई दिल्ली
10-राष्ट्रभाषा समृद्धि सम्मान', साई दास कला अकादमी, दिल्ली
11-आउटस्टैंडिंग परसन अवार्ड' रोटरी क्लब, दिल्ली
12-राष्ट्रपति डॉ॰ शंकरदयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन में काव्य
पाठ के लिए सम्मानित
13-हिन्दी अकादमी, दिल्ली, 'हिन्दी उर्दू साहित्य अवार्ड
14-लखनऊ, राज्यपाल, उ.प्र. द्वारा सम्मानित
15-दिल्ली सरकार,'राष्ट्रीय पर्यावरण सेवा सम्मान
16-भारती परिषद एवं निराला शिक्षा निधि उन्नाव
17-दिल्ली के गौरव' सम्मान
18-भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ शंकरदयाल शर्मा द्वारा प्रदत्त, 'चौपाल सम्मान
19-डॉ॰ मंशाउर्रहमान मंशा सम्मान', नागपुर
20-मद्रास, 'काव्य-गौरव पुरस्कार', सागर, मध्य प्रदेश
इत्यादि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित
डॉ. अशोक चक्रधर जी की रचनाएँ
घाव बड़े गहरे
कहने भर को लोकतंत्र है
यहां लुटेरा ही स्वतंत्र है
खाद नहीं बन पाई खादी
पनप नहीं पाई आज़ादी
गुल
गुलशन
गुलफ़ाम कहां
हम तो
ग़ुलाम ठहरे
हाकिम बहरे के बहरे
नेता अपने भोले-भाले
ऊपर भोले अन्दर भाले
डरते हैं अब रखवालों से
घायल हैं उनके भालों से
भर-भर के भरमाया हमको
खादी खा गई दीन-धरम को
भाई चर गए भाईचारा
तोड़ दिया विश्वास हमारा
यौवन भारी बोझ
कली एक भंवरे कई
परदे पायल पीक
सामंती रंग-रीत की
यह मुजरा तकनीक
अभी तक क्यों ज़िन्दा है
मुल्क यह शर्मिन्दा है
उमर कटे खलिहान में
यौवन भारी बोझ
बापू सोए चैन से
ताड़ी पीकर रोज
हाथ कब होंगे पीले
कहां हैं छैल-छबीले
थाम लिया पिस्तौल ने
तस्कर के घर चोर
तस्कर बोला— बावले
क्यों डरता घनघोर?
प्रमोशन होगा राजा
हमारे दल में आजा
नयनों के घन सघन हैं
बरस पड़े ग़मनाक
पापा ने इस उम्र में
क्यों दे दिया तलाक
स्वार्थ ने हाय दबोचा
न मेरा कुछ भी सोचा
घटीं हृदय की दूरियां
मिटे सभी अवसाद
मन नंदन-वन हो गया
इन छुअनों के बाद
प्यार से प्रियतम सींचे
रंगीले बाग़-बगीचे
तानपुरा निर्जीव है
तन पूरा संगीत,
दरबारी आसावरी
गाओ कोई गीत
तुम्हारी आंखें प्यासी
सुनाएं भीमपलास
हां रात में हमने पी
पीने वाले को जीने का बहाना
चाहिए जीने वाले को पीने का
हां रात में हमने पी
कुछ खुशी मिले हमको, इस नाते शुरू करी
पर चली दुखों की आरी
जो बनी घनी दुखकारी
पी, सोचा रिश्तों में हों मीठे संपर्की
पर कुछ ही पल के बाद
हम करने लगे विवाद।
पी, इस इच्छा से हम, मज़बूत करें मैत्री
पर कहां रहा खुश मन
हम बन बैठे दुश्मन
पी, लगी ज़रूरत सी, हौसला बुलंदी की
पर ज्यों ज्यों जाम भरे
हम खुद से ख़ूब डरे
पी, सबको बतला कर, सेहत के कारण ली
पर हाय नतीजा भारी
बढ़ गईं और बीमारी
पी, सोचा पल दो पल, हों बात मधुरता की
पर लब नाख़ून हुए
भावों के ख़ून हुए
पी, सुलझाएं मसले, कुछ ऐसी कोशिश की
हमने क्या मार्ग चुना
बढ़ गए वो कई गुना
पी, जीवन स्वर्ग बने, कुछ ऐसी चाहत थी
पर सब कुछ बेड़ागर्क
हर ओर दिखा बस नर्क
नींदों की राहत की चाहत में ही पी ली
पर स्वप्न हो गए भंग
प्रात: टूटा हर अंग
हां रात में हमने पी
नाटक : रंग जमा लो, बिटिया की सिसकी, बंदरिया चली ससुराल, जब रहा न कोई चारा, लल्लेश्वरी
Conclusion :-
डॉ. अशोक चक्रधर जी निष्चय हिंदी साहितय की एक महा प्रतिभां शालि शख़्सियत हैं ,हिंदी
साहित्य की चलती फिरती युनीवर्सिटी हैं इसके अतिरिक्त बाल साहित्य, प्रौढ़ एवं नवसाक्षर
साहित्य, समीक्षा, अनुवाद, काव्यानुवाद, पटकथा आदि अनेकों विधाओं में लेखन। फ़िल्म,
टेलीफिल्म, वृत्तचित्र, धारावाहिक, फीचर फ़िल्म व दूरदर्शन में लेखन, निर्देशन व अभिनय के
साथ साथ कविसम्मेलनों के अत्यंत लोकप्रिय व्यक्तित्व।येभीपढ़ें