तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है
तुझे अलग से जो सोचूँ अजीब लगता है
जिसे न हुस्न से मतलब न इश्क़ से सरोकार
वो शख़्स मुझ को बहुत बद-नसीब लगता है
हुदूद-ए-ज़ात से बाहर निकल के देख ज़रा
न कोई ग़ैर न कोई रक़ीब लगता है
ये दोस्ती ये मरासिम ये चाहतें ये ख़ुलूस
कभी कभी मुझे सब कुछ अजीब लगता है
नज़म -1
कितने दिन में आए हो साथी
मेरे सोते भाग जगाने
मुझ से अलग इस एक बरस में
क्या क्या बीती तुम पे न जाने
देखो कितने थक से गए हो
कितनी थकन आँखों में घुली है
आओ तुम्हारे वास्ते साथी
अब भी मिरी आग़ोश खुली है
चुप हो क्यूँ? क्या सोच रहे हो
आओ सब कुछ आज भुला दो
आओ अपने प्यारे साथी
फिर से मुझे इक बार जिला दो
बोलो साथी कुछ तो बोलो
कब तक आख़िर आह भरूँगी
तुम ने मुझ पर नाज़ किए हैं
आज मैं तुम से नाज़ करूँगी
आओ मैं तुम से रूठ सी जाऊँ
आओ मुझे तुम हँस के मना लो
मुझ में सच-मुच जान नहीं है
आओ मुझे हाथों पे उठा लो
तुम को मेरा ग़म है साथी
कैसे अब इस ग़म को भुलाऊँ
अपना खोया जीवन बोलो
आज कहाँ से ढूँड के लाऊँ
ये न समझना मेरे साजन
दे न सकी मैं साथ तुम्हारा
ये न समझना मेरे दिल को
आज तुम्हारा दुख है गवारा
ये न समझना मैं ने तुम से
जान के यूँ मुँह मोड़ लिया है
ये न समझना मैं ने तुम से
दिल का नाता तोड़ लिया है
ये न समझना तुम से मैं ने
आज किया है कोई बहाना
दुनिया मुझ से रूठ चुकी है
साथी तुम भी रूठ न जाना
आज भी साजन मैं हूँ तुम्हारी
आज भी तुम हो मेरे अपने
आज भी इन आँखों में बसे हैं
प्यारे के अनमिट गहरे सपने
दिल की धड़कन डूब भी जाए
दिल की सदाएँ थक न सकेंगी
मिट भी जाऊँ फिर भी तुम से
मेरी वफ़ाएँ थक न सकेंगी
ये तो पूछो मुझ से छुट कर
तेरे दिल पर क्या क्या गुज़री
तुम बिन मेरी नाव तो साजन
ऐसी डूबी फिर न उभरी
एक तुम्हारा प्यार बचा है
वर्ना सब कुछ लुट सा गया है
एक मुसलसल रात कि जिस में
आज मिरा दम घुट सा गया है
आज तुम्हारा रस्ता तकते
मैं ने पूरा साल बिताया
कितने तूफ़ानों की ज़द पर
मैं ने अपना दीप जलाया
तुम बिन सारे मौसम बीते
आए झोंके सर्द हवा के
नर्म गुलाबी जाड़े गुज़रे
मेरे दिल में आग लगा के
सावन आया धूम मचाता
घिर-घिर काले बादल छाए
मेरे दिल पर जम से गए हैं
जाने कितने गहरे साए
चाँद से जब भी बादल गुज़रा
दिल से गुज़रा अक्स तुम्हारा
फूल जो चटके मैं ने जाना
तुम ने शायद मुझ को पुकारा
आईं बहारें मुझ को मनाने
तुम बिन मैं तो मुँह न बोली
लाख फ़ज़ा में गीत से गूँजे
लेकिन मैं ने आँख न खोली
कितनी निखरी सुब्हें गुज़रीं
कितनी महकी शामें छाईं
मेरे दिल को दूर से तकने
जाने कितनी यादें आईं
इतनी मुद्दत ब'अद तो प्रीतम
आज कली हृदय की खिली है
कितनी रातें जाग के साजन
आज मुझे ये रात मिली है
बोलो साथी कुछ तो बोलो
कुछ तो दिल की बात बताओ
आज भी मुझ से दूर रहोगे
आओ मिरे नज़दीक तो आओ
आओ मैं तुम को बहला लूँगी
बैठ तो जाओ मेरे सहारे
आज तुम्हें क्यूँ ग़म है बोलो
आज तो मैं हूँ पास तुम्हारे
अच्छा मेरा ग़म न भुलाओ
मेरा ग़म हर ग़म में समोलो
इस से अच्छी बात न होगी
ये तो तुम्हें मंज़ूर है बोलो
मेरे ग़म को मेरे शाएर
अपने जवाँ गीतों में रचा लो
मेरे ग़म को मेरे शाएर
सारे जग की आग बना लो
मेरे ग़म की आँच से साथी
चौंक उठेगा अज़्म तुम्हारा
बात तो जब है लाखों दिल को
छू ले अपने प्यार का धारा
मैं जो तुम्हारे साथ नहीं हूँ
दिल को मत मायूस करो तुम
तुम हो तन्हा तुम हो अकेले
ऐसा क्यूँ महसूस करो तुम
आज हमारे लाखों साथी
साथी हिम्मत हार न जाओ
आज करोड़ों हाथ बढ़ेंगे
एक ज़रा तुम हाथ बढ़ाओ
अच्छा अब तो हँस दो साथी
वर्ना देखो रो सी पड़ूँगी
बोलो साथी कुछ तो बोलो
आज मैं सच-मुच तुम से लड़ूँगी
जाग उठी लो दुनिया मेरी
आई हँसी वो लब पे तुम्हारे
देखो देखो मेरी जानिब
दौड़ पड़े हैं चाँद सितारे
झिलमिल झिलमिल किरनें आईं
मुझ को चंदन-हार पहनाने
जगमग जगमग तारे आए
फिर से मेरी माँग सजाने
आईं हवाएँ झाँझ बजाती
गीतों मोरा अंगना जागा
मोरे माथे झूमर दमका
मोरे हाथों कंगना जागा
जाग उठा है सारा आलम
जाग उठी है रात मिलन की
आओ ज़मीं की गोद में साजन
सेज सजी है आज दुल्हन की
आओ जाती रात है साथी
प्यार तुम्हारा दिल में भर लूँ
आओ तुम्हारी गोद में साजन
थक कर आँखें बंद सी कर लूँ
उट्ठो साथी दूर उफ़ुक़ का
नर्म किनारा काँप उठा है
मेरे दिल की धड़कन बन कर
सुब्ह का तारा काँप उठा है
दिल की धड़कन डूब के रह जा
जागी नबज़ो थम सी जाओ
फिर से मेरी बे-नम आँखो
पत्थर बन कर जम सी जाओ
मेरे ग़म का ग़म न करो तुम
अच्छा अब से ग़म न करूँगी
मेरे इरादों वाले साथी
जाओ मैं हिम्मत कम न करूँगी
तुम को हँस कर रुख़्सत कर दूँ
सब कुछ मैं ने हँस के सहा है
तुम बिन मुझ में कुछ न रहेगा
यूँ भी अब क्या ख़ाक रहा है
देखो! कितने काम पड़े हैं
अच्छा अब मत देर करो तुम
कैसे जम कर रह से गए हो
इतना मत अंधेर करो तुम
बोलो तुम को कैसे रोकूँ
दुनिया सौ इल्ज़ाम धरेगी
ऐसे पागल प्यार को साथी
सारी ख़िल्क़त नाम धरेगी
आओ मैं उलझे बाल संवारूँ
मुझ से कोई काम तो ले लो
फिर से गले इक बार लगा के
प्यार से मेरा नाम तो ले लो
अच्छा साथी! जाओ सिधारो
अब की इतने दिन न लगाना
प्यासी आँखें राह तकेंगी!
लेकिन ठहरो ठहरो साथी
दिल को ज़रा तय्यार तो कर लूँ
आओ मिरे परदेसी साजन!
आओ मैं तुम को प्यार तो कर लूँ
नज़म -2
फ़ज़ाओं में है सुब्ह का रंग तारी
गई है अभी गर्ल्स कॉलेज की लारी
गई है अभी गूँजती गुनगुनाती
ज़माने की रफ़्तार का राग गाती
लचकती हुई सी छलकती हुई सी
बहकती हुई सी महकती हुई सी
वो सड़कों पे फूलों की धारी सी बनती
इधर से उधर से हसीनों को चुनती
झलकते वो शीशों में शादाब चेहरे
वो कलियाँ सी खुलती हुई मुँह अंधेरे
वो माथे पे साड़ी के रंगीं किनारे
सहर से निकलती शफ़क़ के इशारे
किसी की अदा से अयाँ ख़ुश-मज़ाक़ी
किसी की निगाहों में कुछ नींद बाक़ी
किसी की नज़र में मोहब्बत के दोहे
सखी री ये जीवन पिया बिन न सोहे
ये खिड़की का रंगीन शीशा गिराए
वो शीशे से रंगीन चेहरा मिलाए
ये चलती ज़मीं पे निगाहें जमाती
वो होंटों में अपने क़लम को दबाती
ये खिड़की से इक हाथ बाहर निकाले
वो ज़ानू पे गिरती किताबें सँभाले
किसी को वो हर बार तेवरी सी चढ़ती
दुकानों के तख़्ते अधूरे से पढ़ती
कोई इक तरफ़ को सिमटती हुई सी
किनारे को साड़ी के बटती हुई सी
वो लारी में गूँजे हुए ज़मज़मे से
दबी मुस्कुराहट सुबुक क़हक़हे से
वो लहजों में चाँदी खनकती हुई सी
वो नज़रों से कलियाँ चटकती हुई सी
सरों से वो आँचल ढलकते हुए से
वो शानों से साग़र छलकते हुए से
जवानी निगाहों में बहकी हुई सी
मोहब्बत तख़य्युल में बहकी हुई सी
वो आपस की छेड़ें वो झूटे फ़साने
कोई उन की बातों को कैसे न माने
फ़साना भी उन का तराना भी उन का
जवानी भी उन की ज़माना भी उन का
फ़िल्मी गीत-1
ग़रीब जान के
ग़रीब जान के हम को ना तुम मिटा देना
तुम् ही ने दर्द दिया,
तुम् ही ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
ग़रीब जान के
लगी है चोट कलेजे पे उमर भर के लिए
लगी है चोट कलेजे पे उमर भर के लिए
तड़प रहे हैं मुहब्बत में इक नजर के लिए
नजर मिलाके
नजर मिलाके मुहब्बत से मुस्कुरा देना
तुम ही ने दर्द दिया है तुम्ही दवा देना
गरीब जान के
जहां में और हमारा कहां ठिकाना है
जहां में और हमारा कहां ठिकाना है
तुम्हारे दर से कहां उठके हमको जाना है
जो हो सके तो
जो हो सके तो मुकद्दर मेरा जगा देना
तुम ही दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के
मिला करार ना दिल को किसी बहाने से
मिला करार ना दिल को किसी बहाने से
तुम्हारी आस लगाई है इक जमाने से
कभी तो
अपनी मुहब्बत का आसरा देना
तम ही ने ने दर्द दिया है तुम ही दवा देना
गरीब जान के
नज़र तुम्हारी मेरे दिल की बात कहती है
नज़र तुम्हारी मेरे दिल की बात कहती है
तुम्हारी याद तो दिन रात साथ रहती है
तुम्हारी याद को
तुम्हारी याद को मुश्किल है अब भुला देना
तुम ही ने दर्द दिया है तुम्ही दवा देना तुम्ही
ने दर्द दिया
मिलेगी क्या जो ये दुनिया हमें सताएगी
तुम्हारे
बिन तो हमें मौत भी ना आएगी
किसी के प्यार
को आसां नहीं मिटा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के
फ़िल्मी गीत-2
हम इंतज़ार करेंगे
हम इंतज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक
ख़ुदा करे के क़यामत हो, और तू आए
ख़ुदा करे के क़यामत हो, और तू आए
हम इंतज़ार करेंगे
ये इंतज़ार भी एक इम्तिहान होता है
इसी से इश्क़ का शोला जवान होता है
ये इंतज़ार सलामत हो हाए
ये इंतज़ार सलामत हो और तू आए
ख़ुदा करे के क़यामत हो, और तू आए
हम इंतज़ार करेंगे
बिछाए शौक़ से, सिजदे वफ़ा की राहों में
खड़े हैं दीप की हसरत लिए निगाहों में
क़ुबूल ए दिल की इबादत हो हाए
क़ुबूल ए दिल की इबादत हो और तू आए
ख़ुदा करे के क़यामत हो, और तू आए
हम इंतज़ार करेंगे
वो ख़ुशनसीब है जिसको तू इंतख़ाब करे
वो ख़ुशनसीब है जिसको तू इंतख़ाब करे
ख़ुदा हमारी मोहब्बत को क़ामयाब करे
जवां सितारा ए क़िस्मत हो
जवां सितारा ए क़िस्मत हो और तू आए
ख़ुदा करे के क़यामत हो, और तू आए
हम इंतज़ार करेंग
Conclusion:-
जान निसार अख़्तर एक महान कवि और गीतों के लेखक थे। उनकी कविताएं और गीत लेखन क्षमता अद्भुत थी। उन्होंने अपने शब्दों के जरिए संवेदनशीलता को बयां किया और दिल को छुआ। उनके गीत आज भी लोगों के दिलों में समाये हुए हैं और उनकी कविताएं हमेशा प्रेरित करती हैं। जान निसार अख़्तर की रचनाएं साहित्य जगत में सदैव जीवंत रहेंगी।ये भी पढ़ें
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काम करने लिए होंसला बढ़ाएं
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मौलिक कविता ( शायरी ) इस प्लेटफार्म पर पब्लिश करवाना चाहते हैं तो आप, कमसेकम तीन
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